आर्थिक तंगी से जूझ रही आंगनबाड़ी कार्यकत्री की मौत, घर पर फूटी कौड़ी नहीं
साथियों ने चंदा मिलाकर की तेरहवीं
जौनपुर। पति की मौत के बाद 15 साल से जैसे- तैसे जिंदगी की गाड़ी खींच रही आंगनबाड़ी कार्यकत्री की असमय मौत हो गई। आर्थिक तंगी से जूझ रही आंगनबाड़ी कार्यकत्री की
मौत के बाद घर पर फूटी कौड़ी नहीं थी। मृतक आत्मा की शांति के लिए सहकर्मी आगे आये और आपस में चन्दा जुटाकर अंतिम संस्कार और तेरहवीं का कार्यक्रम किया। सहकर्मियों की दरिया दिली की हर तरफ चर्चा हो रही है।
हम बात कर रहे हैं विकासखंड सिरकोनी के इजरी गांव निवासी आंगनवाड़ी मालती यादव की। 45 वर्षीय मालती गांव में ही आंगनवाड़ी सेंटर चलाती थी। 15 दिन पूर्व मालती को तेज सरदर्द के साथ बुखार हुआ, देखते ही देखते मालती की हालत बिगड़ने लगी तो बेटे अस्पताल ले गये। हालत गम्भीर देखते हुए मालती को वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया। वाराणसी के एक प्राइवेट अस्पताल में मालती को भर्ती कराया गया महंगी दवा के बाद भी मालती की हालत में सुधार नहीं हुआ और आर्थिक तंगी के कारण बेटे मालती को घर लेकर चले आए और बीते 28 जून को मालती की मौत हो गई। इस बात की जानकारी जैसे ही मालती के साथ काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकरत्रियों को हुई तो सभी उसके घर पहुंच गई और अंतिम संस्कार के बाद चन्दा जुटाकर मृतक आत्मा की शान्ति के लिए विधि-विधान के साथ पूजा- पाठ करा कर तेरहवीं का कार्यक्रम सम्पन्न कराया।
15 साल पहले पिता का, अब माँ का भी उठ गया साया
जौनपुर। मालती के पति की लम्बी बीमारी के कारण 15 साल पूर्व मौत हो गई थी दो मासूम बेटों को लेकर मालती किसी तरह अपने जीवन की गाड़ी को खींच रही थी। आंगनबाड़ी की नौकरी में मिलने वाली मामूली तन्ख्वाह से मालती ने अपने दोनों बेटों को पढ़ाया। मालती का बड़ा बेटा कार्तिक इस समय 24 वर्ष का है और छोटा बेटा 22 वर्ष का है। शिक्षा की बात करें तो बड़ा बेटा बीएससी कर चुका है और छोटा बेटा बी.एड. की तैयारी कर रहा है। दोनों बेटे यही कहकर रो रहे थे कि 15 साल पहले सर से पिता का साया उठ गया था,अब मां का भी साया उठ गया है। हम लोग तो अनाथ हो गये,अब किसके सहारे जियेंगे और कैसे आगे की पढ़ाई करेंगे?