और वर्षों वर्ष बाद सुनी बच्चों की आवाज
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उपलब्धि
आरबीएसके के तहत स्वस्थ हुए सात जन्मजात मूक-बधिर बच्चे
योजना के तहत जनपद में अप्रैल में ही स्वस्थ हो चुके हैं 25 बच्चे
जौनपुर, 24 मई 2023
जरा सोचिए ! अगर किसी मां-बाप को अपने बच्चे की आवाज उसके जन्म से ही न सुनाई दी हो और कई साल बाद अचानक वह बोलने लगे तो कैसा लगेगा। शायद वह क्षण उसके व परिजनों के लिए सबसे सुखद पल होगा। कुछ ऐसा ही हुआ जनपद के सात बच्चों के साथ। सभी बच्चे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के जरिए अब स्वस्थ आवाज के साथ बातचीत कर रहे हैं।
मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह ने बताया कि आरबीएसके के तहत सात बच्चे जन्मजात बीमारी (बोलने और सुनने में अक्षम) चिह्नित किए गए थे। बख्शा क्षेत्र के दो बच्चों का आपरेशन हो चुका है। वह सुनने लगे हैं और बोलने का प्रयास कर रहे हैं। एक को दो महीने बाद आपरेशन कराने के लिए समय मिला है। पूरे जनपद से ऐसे सात बच्चे ठीक हो चुके हैं। इनके अलावा आरबीएसके के माध्यम से इलाज होने वाली विभिन्न 47 जन्मजात बीमारियों से प्रभावित 180 बच्चे एक अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक स्वस्थ हो चुके हैं। वर्ष 2023 के मात्र अप्रैल में ही 25 बच्चे ठीक हुए हैं।
कैसे बच्चे चिह्नित किए गए:
आरबीएसके के नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डॉ राजीव कुमार ने बताया कि आरबीएसके की टीम ने 30 जून 2022 को अलहदिया गांव का भ्रमण किया था। इसमें डॉ दिनेश कुमार यादव, आप्टोमैट्रिस्ट ज्योति सिंह, एएनएम चांदतारा शामिल थीं। तब उमाशंकर मौर्या और सरिता मौर्या की बेटी स्वाति (चार वर्ष पांच माह) ने पूछने या आवाज करने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मेडिकल आफिसर डॉ जनार्दन यादव, डॉ शिवचंद्र यादव प्रदीप चौधरी नेत्र परीक्षण अधिकारी ने जनवरी 2022 में दरियावगंज गांव का भ्रमण कर पूरे गांव में स्वास्थ्य परीक्षण किया था। तब मुकलेश यादव का बेटा हैप्पी (चार वर्ष पांच माह) न सुन पा रहा था और न ही बोल पा रहा था। इन बच्चों का फॉलोअप बक्सा के अधीक्षक डॉ गोपेश के पास कराया जा रहा है।
कैसे हुआ इलाज:
डिस्ट्रिक्ट अर्ली इनटर्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) मैनेजर अमित गौड़ ने बताया कि जौनपुर जिले के 21 ब्लाकों में आरबीएसके की 42 टीमें हैं। हर टीम में दो डॉक्टर होते हैं। यह टीम आंगनबाड़ी केंद्रों पर वर्ष में दो बार तथा सरकारी स्कूलों पर वर्ष में एक बार भ्रमण कर विभिन्न जन्मजात बीमारियों से प्रभावित बच्चों को चिह्नित कर शनिवार को सीएचसी पर बुलाती है। वहां से जिला अस्पताल रेफर करवाती है। जिला अस्पताल में इलाज संभव नहीं होने पर मेडिकल कॉलेज या डिस्ट्रिक्ट अर्ली इन्टरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) आपरेशन के लिए भेजवाती है। डीईआईसी मैनेजर लाभार्थी बच्चों का कागज पूर्ण कराकर सीएमओ का सहमति पत्र लेकर संबंधित डीईआईसी सेंटर या मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए भेजते हैं।
अब यूट्यूब भी देखता है:
दरियावगंज के मुकलेश ने बताया कि उनका बेटा हैप्पी जन्म से ही न तो बोल पा रहा था और न ही सुन पा रहा था। आपरेशन होने के बाद मम्मी-पापा बोलने लगा है। जिधर से आवाज आती है उधर देखता है। अब मोबाइल पर गाना चलने पर नाचता है। यूट्यूब पर कार्टून देखता है। वहीं अलहदिया की स्वाति की मां सरिता मौर्या बतातीं हैं कि 28 फरवरी 2023 को आपरेशन होने के बाद उसे पहली बार आवाज सुनाई दी तो वह डरकर रोने लगी। इसके बाद परिवार के लोगों ने गिलास बजाकर और दरवाजा खटखटाकर आवाज निकाला तो उधर देखने लगी। अब स्वयं ही दरवाजा खटखटाकर और गिलास बजाकर उसकी आवाज सुनकर खुश होती है। वह पापा-पापा बोलती रहती है।
47 बीमारियों का इलाज संभव:
आरबीएसके के तहत न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (जन्मजात दोष), कटे होठ और तालु, क्लब फुट (टेढ़ा पैर), जन्मजात मोतियाबिंद, दिल में छेद, जन्मजात बहरापन, डिफीसिएन्सीज सहित 47 प्रकार की जन्मजात व गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चों का इलाज किया जाता है।